Wednesday 14 September 2011

ये कैसे हो सकता है

प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
छोड़ दूँ मैं आदबे-मुहब्बत, ये कैसे हो सकता है

चन्द किताबें तो कहती हैं,कहती रहें,कहने से क्या
इश्क हो इंसां की ज़रूरत, ये कैसे हो सकता है

फूल महकें, भँवरें बहकें, गीत गाए कोयलिया
और बच्चे ना करें शरारत, ये कैसे हो सकता है

जन्नत का अरमान अगर है, मौत से कर ले याराना
जीते जी मिल जाए जन्नत, ये कैसे हो सकता है

कोई मुहब्बत से है ख़ाली कोई सोने-चाँदी से
हर झोली में हो हर दौलत, ये कैसे हो सकता है

अपनी लगन में,अपनी वफ़ा में कोई कमी होगी हस्ती
वरना रंग लाये चाहत, ये कैसे हो सकता है

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