Tuesday 5 July 2011

प्यार का पहला ख़त


प्यार का पहला ख़त लिखने में वक्त़ तो लगता है

नये परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है



जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था

लंबी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है



गाँठ अगर लग जाये तो फिर रिश्ते हों या डोरी

लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है



हमने इलाजे-ज़ख्मे-दिल तो ढूँढ़ लिया लेकिन

गहरे ज़ख्मों को भरने में वक़्त तो लगता है


1 comment:

  1. हस्तीमल जी इस आभासी दुनिया में आप का स्वागत है। हम भाग्यशाली हैं कि आप की कविताएं यहां बार बार पढ़ पायेगें। आशा है जल्द ही आप की और कविताएं पढ़ने का अवसर मिलेगा

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