सबकी सुनना, अपनी करना
शहरे-वफ़ा से जब भी गुज़रना
अनगिन बूँदों में कुछ को ही
आता है फूलों पे ठहरना
बरसों याद रखें ये मौजें
दरिया से यूँ पार उतरना
फूलों का अंदाज़ सिमटना
ख़ुशबू का अंदाज़ बिखरना
गिरना भी है बहना भी है
जीवन भी है कैसा झरना
अपनी मंज़िल ध्यान में रखकर
दुनिया की राहों से गुज़रना
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